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लखनऊ मंच पर दिखी भावनाओं की गहराई और विचारों की जटिलता

लखनऊ मंच पर दिखी भावनाओं की गहराई और विचारों की जटिलता

लखनऊ। मंच कृति संस्था की ओर से संगीत नाटक अकादमी में आयोजित नाटकों की श्रृंखला में बृहस्पतिवार को तीन नाटकों ने संवेदनाएं और सोच की गहरी यात्रा पर दर्शकों को ले लाने का काम किया। नाटकों ने समाज की सच्चाई प्यार की ताकत और प्यार की ताकत और मानवीय आदर्शों के बदलाव को प्रकट किया।संगम बहुगुणा, विकास श्रीवास्तव के निर्देशन में नाट्य संध्या की शुरुआत नाटक जावेद से हुई। कश्मीर की शांत घाटियों में रहने वाला छोटा जावेद, एक मासूम बच्चा है जो अपने पिता की तरह कोमल हृदय वाला है लेकिन उसकी अम्मी समीना हमेशा डरती रहती है कि कहीं उसका बेटा बुरी संगत में न पड़ जाए। जावेद के पिता की असमय मृत्यु के बाद समीना का एक सपना है कि उसका बेटा बड़ा आदमी बने लेकिन वह आतंकवाद के डर और आजकल के माहौल से घबराई रहती है।

नफरत के रावण पर प्यार की विजयनफरत के ठंडे जख्मों को प्यार की गर्मी से भरा जा सकता है, लेकिन कभी-कभी यह बदलाव समय लेता है। कहानी की नायिका रूही का कदम इस बदलाव की मिसाल है। रावण तुम कभी ना मरना एक ऐसी कहानी है, जो यह बताती है कि कैसे नाराजगी और नफरत को प्यार और समझ में बदलकर रिश्तों को बचाया जा सकता है।
जब उपकार बन गया इंसानियत की मिसालइस नाटक में एक ऐसे वकील की कहानी है जो अपनी वकालत में निष्कलंक था, लेकिन एक गरीब आदमी के बेटे की रक्षा के लिए उसे अपनी सोच बदलनी पड़ी। उमाकांत नगर के प्रसिद्ध वकील, जिनकी खासियत थी कि वे एक भी रुपये नहीं छोड़ते थे और कमाए गए पैसों से गरीबों की मदद करते थे, जब एक गरीब आदमी अपने बेटे को बचाने के लिए उनके पास पहुंचता है, तो उनका विश्वास और आदर्श उनकी पूरी जिंदगी को बदल डालता है। अम्बरीश बॉबी, डॉ. राकेश कुमार, ममता शुक्ला, राजेश मिश्रा के शानदार अभिनय ने दर्शकों को भाव विभोर का दिया।

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